Saturday, August 27, 2011

तेरे नाम ....



न ये तेरी हार ...न मेरी जीत, फिर भी मन में है प्रीत ।

एक कदम तुम चलो, ... एक कदम मैं चलूँ , मिलकर लिखें एक नया गीत ।

मनीष देखा,... देखा अब्बास...लगता है सब बकवास,

न तेरा अरविन्द न तेरा भूषण , न मेरा सिब्बल न उसका अडवाणी,

....आओ रचें नई कहानी.... ।

अब न कलमाधी न कोई राजा ...फिर ये कैसा तकाजा ।

जीवन की इस संध्या में क्या खोया ? ...क्या पाया ? ..मत करो ये विचार ,

मैं मनमोहन तू अन्ना...बस अब दिल में है यही तमन्ना, ख़त्म हो ये भ्रष्ट्राचार ।

ऐ मुसाफिर ..ये राह नहीं आसान, साँझ ढली कर कुछ विश्राम,

जाग मुसाफिर देखो नया सबेरा ...नया भारत ...बस यही कुछ पैगाम ।

अपना सपना पूरा हो ...दिल में बस यही अरमान ।

मत सोच बंदेमातरम ...इंकलाब कौन कहेगा,

हम रहें न रहें ये कारवां तो चलता ही रहेगा ।

माना की सौ में ...????? बेईमान ...फिर भी अपना भारत महान ....!!!!

जय हिंद ...!! जय भारत..!!


नरेश चंद्रा, मुंबई


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