
न ये तेरी हार ...न मेरी जीत, फिर भी मन में है प्रीत ।
एक कदम तुम चलो, ... एक कदम मैं चलूँ , मिलकर लिखें एक नया गीत ।
मनीष देखा,... देखा अब्बास...लगता है सब बकवास,
न तेरा अरविन्द न तेरा भूषण , न मेरा सिब्बल न उसका अडवाणी,
....आओ रचें नई कहानी.... ।
अब न कलमाधी न कोई राजा ...फिर ये कैसा तकाजा ।
जीवन की इस संध्या में क्या खोया ? ...क्या पाया ? ..मत करो ये विचार ,
मैं मनमोहन तू अन्ना...बस अब दिल में है यही तमन्ना, ख़त्म हो ये भ्रष्ट्राचार ।
ऐ मुसाफिर ..ये राह नहीं आसान, साँझ ढली कर कुछ विश्राम,
जाग मुसाफिर देखो नया सबेरा ...नया भारत ...बस यही कुछ पैगाम ।
अपना सपना पूरा हो ...दिल में बस यही अरमान ।
मत सोच बंदेमातरम ...इंकलाब कौन कहेगा,
हम रहें न रहें ये कारवां तो चलता ही रहेगा ।
माना की सौ में ...????? बेईमान ...फिर भी अपना भारत महान ....!!!!
जय हिंद ...!! जय भारत..!!
नरेश चंद्रा, मुंबई
No comments:
Post a Comment